#ग़ज़ल-45
बहर–फ़ाइलातुन-फ़यलातुन-फ़ेलुन
2122-1122-22
हारना याद नहीं जीते ग़म
नाज़ है आज़ खुदी पर है दम/1
जो झुका हार गया खुद से ही
ज़िंदगी हार मनाता मातम/2
हार पर यार बहाना तेरा
जीत पर फूल कहे हम हैं हम/3
एक ही सार रहे पलपल सुन
चाँद तो चाँद बढ़े या हो कम/4
ज़िंदगी आँख-मिचौली होती
धूप या छाँव रहे हो ना सम/5
मौज कर छोड़ उदासी दिल से
रीत पल बीत न आए प्रीतम/6
आर.एस.”प्रीतम”