ग़ज़ल- नित नये आयाम की तैयारी रख…
नित नये आयाम की तैयारी रख।
जीत लेगा जंग अपनी जारी रख।
पक गये हैं बाल तो पक जाने दे।
दाड़ी छुलवा मूछ अपनी कारी रख।।
पैर काँपे सर हिले हिलने दे।
तू जवां है अपनी दावेदारी रख।।
बढ़ रही है उम्र तेरी बढ़ने दे।
साथ मे अपने नवेली नारी रख।।
उम्र से मायूस होकर ग़म न कर।
चेहरे पर बच्चों सी किलकारी रख।
झुर्रियां चेहरे पे जो दिखने लगीं।
फेसबुक पर डीपी अपनी प्यारी रख।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’
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