#ग़ज़ल-50
मापनी–2122-2122-212
काफ़िया-नारी-भारी-लारी-खारी-प्यारी-न्यारी-हारी-सारी-पारी।
रदीफ़ -घनी।
तेज़ है तलवार-सी नारी घनी
मर्द पर तो है लगे भारी घनी/1
ख़ूब हो शापिंग पार्लर शौक जी
पेय पी ले पेय-सी लारी घनी/2
बात मानो ठीक रूठेगी नहीं
रूठ जाए तो लगे खारी घनी/3
मायके का रोब होठों पर रहे
नाच उँगली पर रहे प्यारी घनी/4
पूछकर हर काम कर पति देव जी
देखना फिर तो दिखे न्यारी घनी/5
चाह हो परिवार एकल में रहें
बाप-माँ से तो लगे हारी घनी/6
जग लगें पति और बच्चे बस इसे
और केवल भीड़ लगती सारी घनी/7
देख प्रीतम वैर लेना ना कभी
खेलना तू प्रेम की पारी घनी/8
-आर.एस.’प्रीतम’