ग़ज़ल- तस्वीर तुम्हारी में, इक़ हूर नज़र आये
ग़ज़ल?
तस्वीर तुम्हारी में, इक़ नूर नज़र आये।
अब दिल के आईने में, इक़ हूर नज़र आये।।
लगता है तुम्हे रब ने, फुरसत से बनाया है।
ये हुस्न बनाकर रब, मग़रूर नज़र आये।।
ये नैन नशीले हैं, लब मय के हैं दो प्याले।
जो देख ले इन्हें बस, मख्मूर नज़र आये।।
कमसिन अदा की मलिका, माथे पे तिलक प्यारा।
चंदा सा चमकता तिल , पुरनूर नज़र आये।।
है शोख अदा उसकी, चंचल है हँसी प्यारी।
बिन ‘कल्प’ हँसी चेहरा, बेनूर नज़र आये।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’
221 1222. 221. 1222