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4 Jun 2021 · 1 min read

ग़ज़ल- चले गए हैं वे जिंदगी से

ग़ज़ल- चले गए हैं वे जिंदगी से
■■■■■■■■■■■■■■
न जाने क्यों अब पलट गए हैं हमें वे अपनी ज़बान देकर
नहीं मुनासिब है छीन लेना किसी को सारा जहान देकर

यही तो उनकी है यार फितरत मिला उन्हें जब नया ज़माना
पटक दिया है हमें जमीं पर कि आसमाँ का उठान देकर

भले नहा लूँ मैं आँसुओं से भले लगा लूँ मैं लाख साबुन
नहीं मिटेगा कभी वे दिल को गए हैं ऐसा निशान देकर

गले लगाकर कहा था जिसने कभी न छोड़ेंगे साथ तेरा
चले गए हैं वे जिंदगी से कि एक टूटा मकान देकर

जो हाथ दोनों जुदा रहें तो बजेगी ‘आकाश’ कैसे ताली
अगर हमें वे न छोड़ जाते निभाते हम तो ये जान देकर

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 02/06/2021
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
★ बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 122

7 Likes · 3 Comments · 398 Views
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