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4 Feb 2017 · 1 min read

ग़ज़ल : *********उम्र का पड़ाव अच्छा लगता है *******

उम्र के साथ साथ सब कुछ अच्छा लगता है
बचपन में बच्चे का नटखट रहना अच्छा लगता है !!

जवानी दीवानी होती है, घूमना फिरना अच्छा लगता है
मौज में रहें हर बार यह भी सोचना अच्छा लगता है!!

उम्र का एक पड़ाव वो भी आता है, वो भी अच्छा लगता है
जब शादी हो और बहु मिले दिल सुहाना लगता है !!

जब जिन्दगी में जिमेवारियन सताने लगती हैं रोजाना
तो वो अंदाज क्यों नहीं सब को अच्छा लगता है ??

सर के बाल निकल निकल कर गंजे पन में आ जाये हैं
सर हो जाता है गंजा, क्यों नहीं अच्छा लगता है ??

कुछ लोग देखे हैं ऐसे भी उम्र है ६० के पार उनकी
पर बाल रहे सदा काले, यह उनको अच्छा लगता है !!

झुरियन पड़ गयी हैं चेहरे पर सूरत बिगड़ रही है
फिर भी जवानी को याद करना , क्या अच्छा लगता है ??

ऊपर वाले ने किया है सब काम उम्र के साथ साथ
अंत में बस नाम हो जुबान पर उस का , यही अच्छा लगता है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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