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17 Mar 2021 · 1 min read

ग़ज़ल- आये थे वीराने से…

ग़ज़ल- आये थे वीराने से…
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
आये थे वीराने से फिर वही वीरानी है
चार दिन के जीवन की बस यही कहानी है

लौटना नहीं मुमकिन है सफ़र ये जीवन का
छोड़ जाये बचपन भी कब रुकी जवानी है

उम्र ये गुजर जाती रोटियाँ कमाने में
है कमर झुकी सी जो बोझ की निशानी है

बेवफ़ा ज़माने में अश्क़ यूँ बहाना क्या
टूटना तो है इसको दोस्ती पुरानी है

पूछते ही रहते हो, है ‘आकाश’ जीवन क्या
दर्द का समुंदर है पर ख़ुशी चुरानी है

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 09/03/2021
~~~~~~~~~~~~~~~~~
*मापनी- 212 1222 212 1222

3 Likes · 1 Comment · 504 Views
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