#ग़ज़ल-43
बहर-फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
वज़्न-212 212 212 212
अश्क़ मोती तेरे तू बहाना नहीं
टूट के हार से दिल जलाना नहीं/1
दीप का काम है रोशनी बाटना
आँधियों में कभी लो बुझाना नहीं/2
चाँद-सूरज चलें हैं अकेले सदा
साथ देता कभी ये ज़माना नहीं/3
शेर राजा रहे भीड़ से दूर भी
झुंड का शौक़ ये तू लगाना नहीं/4
साथ जो छोड़ दें बीच ही राह में
ख़्वाब उनके ज़रा तू सजाना नहीं/5
जो बहादुर हुए मंज़िलें पा गए
रोक पाया कभी ये डराना नहीं/6
छल-कपट भूल जा कुछ मिलेगा नहीं
जीतता है हुनर ये चुराना नहीं/7
प्यार ज़न्नत लिए सब कहे हैंं यही
यार से तो बड़ा है खज़ाना नहीं/8
साख से जो गिरा फूल मुर्झा गया
तू उठाना सदा ही गिराना नहीं/9
प्यार प्रीतम करे भूल पाए न जग
बात दिल से लगा ये हटाना नहीं/10
आर.एस.”प्रीतम”