ग़ज़ल।ऐ ख़ुदा तू पथ्थरे दिल हो नही सकता।
@ग़ज़ल@
नेक दिल ख़ून ए आँसू रो नही सकता कभी ।
ऐ ख़ुदा तू पथ्थरे दिल हो नही सकता कभी ।।
ले रहा होगा मिरा तू इंतिहान- ऐ -सब्र का ।
दो दिलों में फ़ासला यूँ बो नही सकता कभी ।।
जिंदगी क़ुर्बान करने के लिये हाज़िर रहा हूं ।
दोस्ती में कर भरोसा खो नही सकता कभी ।।
दर्दे दिल नाज़ुक नही तो मौत क्यों ख़ामोश है ।
उम्रभर तकलीफ़ ऐ दिल ढ़ो नही सकता कभी ।
है सितम ये प्यार का तो मैं भी अब तैयार हूं ।
जान ऐ जां हाथ तुझसे धो नही सकता कभी ।।
या इलाही तू मिला दे उस मुक़म्मल रूह से ।
चैन की इक नींद रक’ सो नही सकता कभी ।।
© राम केश मिश्र