ग़र तू कहे तो हम सुधर जाये
अपनी वादों से हम मुकर जाये !
ग़र तू कहे तो हम सुधर जाये !!
रोज़ मर मर के जी रहा हूँ मै ,
क्यो कहती नहीं, हम मर जाये ?
तनहा रहने की अब तो आदत है ,
तेरी खुशियों से माँग भर जाये !
तेरी चाहत में जां लुटा दू मै ,
भले झूठा ही प्यार कर जाये !
छोड़ दूँगा तेरी गलियों में आना जाना ,
अब न होगा कोई जो देख् मुझे डर जाये !
प्यार पाते है खुशनशीब यहा ,
तेरी यादो में हम गुजर जाये !
क्यो होता है तू उदास जुगनू ?
तू चमके तो रजनी भी निखर जाये !!