ख़्वाब दिखाने वाले
दुनियाँ की बदल में सब बदल गया जब
फिर खुदगर्ज हो गए सारे ज़माने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
कौन करता है फिकर अब किसकी
सब हो चले हैं सबको सताने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
बड़ी तमन्ना थी अब तो ढूंढ़ लूँ उनको
पर नहीं मिलते है वो ख़्वाब पुराने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
सिर पे बोझ है और कंधे पर भार है अब
सुकून खो गए हैं अपने सिरहाने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
यहाँ दूसरों के गम से किसी को क्या लेना
लोग मिलते हैं अक्सर आँसू बहाने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
किसी की जीत पर कहाँ ख़ुश है कोई
बस तरीके ढूंढ़ते है सबको हराने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
हैसियत देखकर दिल दे बैठते है सभी
कहाँ हैं मन देखकर दिल लगाने वाले
जिंदगी निःरस हो गई दुनियादारी में जब
खो गए ख़्वाब देखने वाले और ख़्वाब दिखाने वाले
-सिद्धार्थ गोरखपुरी