ख़्वाबों की अर्थी
“ किसी के ख़्वाबों की अर्थी से
मांग सजा के अपनी ,
लाल चुनरिया ओढ़ के चल दी
साथ किसी के सजनी “
“ बहक उठेंगी सांसें तेरी
मेरे अश्क़ की रिमझिम में ,
मेरी तन्हा सिसकती रातें
है ग़ज़लों में ढलनी “
“ ग़मों से हो ख़ौफ़ज़दा
क्यों दिल की दीवारें ,
शम्मा किसी की यादों की
सुबह शाम है जलनी “
” चले गए वो तोड़ के कसमें
भूल गए वो इश्क़ की रस्मे ,
सूख रही जीवन नदिया अब
अश्क़ों से है भरनी ”
” टूटे ख्वाबों की जब कलियाँ
दर्द दिलों में भडकाएंगी ,
फिर बीते लम्हों की होगी
खुश्बू अहसासों में भरनी “