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5 Dec 2016 · 1 min read

हज़ार सदियों के बाद

_ कविता_

हज़ार सदियों के बाद

*अनिल शूर आज़ाद

रानीखेत के
गोल्फ-ग्राउंड में घूमते हुए
अचानक..ख्याल आया
अमलतास का एक बड़ा
वृक्ष है, यह सृष्टि
जिस पर..करोड़ों तारे रूपी
बेशुमार फूल खिले हैं

हज़ार सदियों के बाद
जब यह धरती/कुछ औऱ
बूढी हो जाएगी/तथा
सूरज थकने लगेगा

आसमान पर दिखने वाली
इंद्रधनुषी-छड़ से/तब मैं
ढेर सारे फूल झाड़ कर
तुम्हारी झोली भर दूंगा

इसके बाद/तुम्हारे मुस्कराते ही
आगाज़ होगा/एक नई कायनात का।

(रचनाकाल: वर्ष 1991)

Language: Hindi
238 Views
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