हौसले हो बुलंद
नहीं होती
सफलता में
बाधक
कोई लाचारी
लांघ सकते है
दिव्यांग भी पर्वत
सब चाहिए
हिम्मत- हौसला
भविष्य बनते हैं
माता पिता
बच्चों का
हो चाहे कोई
मजबूरी
लड़ता है
सैनिक
देश की खातिर
दूर कर सब
लाचारियां
मजबूरियाँ
घर परिवार की
न दे
बुढापे में
ईश्वर
लाचारी
होता है
और मुश्किल
जीवन
जब छोड़
जाते हैं
अकेला बच्चे
नहीं समझते
मजबूरी
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल