*हौंसलों की उड़ान*
“जो पक्षी गिरने की हिम्मत करता है”
“वही पक्षी उड़ना सीखता है”
उड़ने की चाहत हो तो गिरने का डर छोड़ना होगा !
किसी ओर से नहीं अपने ही मन से लड़ना होगा !!
डराएगी ये दुनिया तुमको बहुत से उदाहरणों से !
मगर तुमको अपना हौंसला खुद ही बनना होगा !!
जब भी गिरो एक नई उम्मीद से भर जाना !
बार बार गिरकर भी तुम हर बार सम्भल जाना !!
अपने मन से बढ़कर कोई साथ नही देता !
एक पल के लिए भी तुम ना घबराना !!
जब भी लगे हिम्मत तुम्हारी टूट रही है !
सोच लेना की मंजिल तुम्हें ढूंढ रही है !!
अपने मन में एक नया साहस भर लेना !
वो पल दूर नहीं जब “नीलम” गगन में उड़ रही है !!