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4 Apr 2020 · 1 min read

#ग़ज़ल-05

मीटर : 212-212-212-212

??
दौर कितना बुरा हो डरें ना कभी
हौंसले से बढ़ें पर रुकें ना कभी/1

??
धूप हो छाँव हो या शहर गाँव हो
खुश रहें राग ग़म का रटें ना कभी/2

??
मौज़ में ओज से काम हर कर चलें
साख से आँधियों मेंं गिरें ना कभी/3

??
घर रहे प्यार से महकता हर समय
फ़र्ज़ से भूलकर भी हटें ना कभी/4्

??
साथ दें घात की सोच भी ना रखें
यूँ जुड़ें हम जड़ों से कटें ना कभी/5

??
ज़िंदगी प्रीत है दूर क्यों फिर रहें
रूठ के भूल से भी मिटें ना कभी/6

??
तन मिटें हैं वतन के लिए क्या हुआ
याद ‘प्रीतम’ जहां से छटें ना कभी/7

?आर.एस.प्रीतम?

1 Like · 2 Comments · 206 Views
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