Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2020 · 1 min read

हौंसले गिरने न दिए

ठोकर खाके गिरा था मैं कई बार
कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए
मुश्किलों में बिखरा था कई बार
मगर कदम अपने रुकने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

हर ठोकर पे और मजबूत हुए मेरे इरादे
याद रहे मुझे खुद से किए हुए सभी वादे
अंधेरों ने भी घेरा मुझे कई बार
मगर दिये उम्मीदों के बुझने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

दुश्मनों ने मुझे रोकने की कोशिशें भी कीं
तमाम सितम भी ढाए और साजिशें भी कीं
तराशता रहा और मैं अपने हुनर को “अर्श”
मैंने अपने कांधे कभी झुकने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा
Rajesh Kumar Arjun
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
Vinit kumar
गया राजपद प्रभु हर्षाए : कुछ चौपाइयॉं
गया राजपद प्रभु हर्षाए : कुछ चौपाइयॉं
Ravi Prakash
अपार ज्ञान का समंदर है
अपार ज्ञान का समंदर है "शंकर"
Praveen Sain
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
खुदकुशी नाहीं, इंकलाब करअ
Shekhar Chandra Mitra
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
surenderpal vaidya
पाने की आशा करना यह एक बात है
पाने की आशा करना यह एक बात है
Ragini Kumari
?????
?????
शेखर सिंह
जिधर भी देखो , हर तरफ़ झमेले ही झमेले है,
जिधर भी देखो , हर तरफ़ झमेले ही झमेले है,
_सुलेखा.
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
राह नीर की छोड़
राह नीर की छोड़
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
फिर आई स्कूल की यादें
फिर आई स्कूल की यादें
Arjun Bhaskar
अतीत
अतीत
Neeraj Agarwal
मानव तेरी जय
मानव तेरी जय
Sandeep Pande
जितनी शिद्दत से
जितनी शिद्दत से
*Author प्रणय प्रभात*
गुरु दीक्षा
गुरु दीक्षा
GOVIND UIKEY
सियासी खेल
सियासी खेल
AmanTv Editor In Chief
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
$úDhÁ MãÚ₹Yá
ऐसा क्यों होता है
ऐसा क्यों होता है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
बड़ी होती है
बड़ी होती है
sushil sarna
कितना भी  कर लो जतन
कितना भी कर लो जतन
Paras Nath Jha
मन
मन
Ajay Mishra
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
ruby kumari
"दोस्ती का मतलब"
Radhakishan R. Mundhra
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
चंद्रयान-थ्री
चंद्रयान-थ्री
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...