हो मोहब्बत ए नज़र।
हो मोहब्बत ए नजर मुझ गरीब पे भी इक सरकार तुम्हारी।
महफ़िल में सबसे हंस रहे हो बस हम से ही बेरुखी है सारी।।1।।
चाहत का समंदर लिऐ बैठे है इक बस आपके ही खातिर।
जान पहचान कर देख लो तुम हम में इतनी भी ना है खराबी।।2।।
यूं सबके कहने पर ना जाओ तुम लोगो का काम हैं कहना।
कोइ खुशी ना चाहता किसी की हो गई सब में ही ये है बीमारी।।3।।
दिल तो सबका धड़कता है किसी का जादा किसी का कम।
मैखाना भी जाना छोड़ दिया है जबसे तुम्हारा हिसार है तारी।।4।।
तुम हो कि आंख भर ना देखा कभी हमारी यूं फितरत को।
पिघलाएंगे यह पत्थर दिल तुम्हारा हमने भी दिल में है ठानी।।5।।
ऐसा नही कि कभी भी प्यासे सहरा में बारिश होती नहीं है।
दिल से जायज़ दुआ मांगों पूरी कर देती ये खुदा की है खुदाई।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ