हो गई कविता !
हो गई कविता !
सो गया है दिल,
भावनाएं जो उठी थी,
दफन हुई महफिल,
आग जो लगी थी,
कागज में बुझी थी,
खो गए शब्द,
क्या हो गया अब,
टक-टकी जो लगी थी,
लिखने को पड़ी थी,
रुक गई कलम,
मिट गया भ्रम,
हो गये शौक,
भूल गये मंजिल।
#बुद्ध प्रकाश