Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Aug 2019 · 1 min read

बुढ़ापा {घनाक्षरी}

बुढ़ापा
{घनाक्षरी}
□■■■□■■■□■■■□
हो के नौजवान तुम हँसते हो वृद्धों पर,
तेरी बात तेरी माँ को देखना रुलायेगी।

जो सारे संस्कार तुम भूलते ही जा रहे हो,
अब तेरे तात को भी नींद नहीं आयेगी।

ठीक नहीं अपनी जवानी पर यूँ गुमान,
आएगा बुढापा कोई चीज नहीं भायेगी।

भले कितना भी क्रीम तेल पाउडर मलो,
तेरी चमड़ी भी एक दिन झूल जायेगी।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 22/08/2019

4 Likes · 1 Comment · 586 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम्मीर देव चौहान
हम्मीर देव चौहान
Ajay Shekhavat
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"क्षमायाचना"
Dr. Kishan tandon kranti
23/20.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/20.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम निभाना
प्रेम निभाना
लक्ष्मी सिंह
चाहती हूं मैं
चाहती हूं मैं
Divya Mishra
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
‼ ** सालते जज़्बात ** ‼
Dr Manju Saini
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
पूर्वार्थ
फ़ितरत का रहस्य
फ़ितरत का रहस्य
Buddha Prakash
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर  मौन  प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
sushil sarna
माँ
माँ
Arvina
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
Raazzz Kumar (Reyansh)
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ये तलाश सत्य की।
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
जीवन में दिन चार मिलें है,
जीवन में दिन चार मिलें है,
Satish Srijan
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
".... कौन है "
Aarti sirsat
तुम्हें कब ग़ैर समझा है,
तुम्हें कब ग़ैर समझा है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अब हम क्या करे.....
अब हम क्या करे.....
Umender kumar
बीड़ी की बास
बीड़ी की बास
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हिस्से की धूप
हिस्से की धूप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
■ आज का दोह
■ आज का दोह
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन में कम से कम एक ऐसा दोस्त जरूर होना चाहिए ,जिससे गर सप्
जीवन में कम से कम एक ऐसा दोस्त जरूर होना चाहिए ,जिससे गर सप्
ruby kumari
Loading...