होली
होली सनातन संस्कृति की है त्योहार
विविधता मे एकता की है एक व्यवहार
रंगो उंमगो मे डूबा शुभ दिन पूनम का
खेले गुलाल अबीर साथ अपने जानम का
वार्षिक सिकवा सिकायत का होता अन्त
गले लगते दोस्त दुश्मन बनके साधु-संत
पर होली जीवन के कुछ ही पलो मे है जवान
बाकी देखकर खुश होते बस इतना ही जान
नये कपड़े और मिठाई की ललाई आज है नही
न जाने वो बसंती हवा अतीत मे छुपी है कही
होलीका दहन कर करते प्रह्लाद को याद
दैत्य राजा का हुआ संहार विष्णु का ये संवाद।।