Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है।

एक प्रेम गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ

आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है ।
ख़त तुम्हें लिखने की ख्वाहिश हो रही है ।।

एक हवा का झोंका बनके तुम चले आओ ।
मैं बनुॅ बादल कोई मुझको उड़ा जाओ ।।
फूलों से कलियों से भौरों से चलो बातें करें ।
भींगी भींगी रातों में आओ मुलाकातें करें ।।
मिलके भिंगेंगे चलो दिल से गुजारिस हो रही है ।
आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है ।।1।।

तुम हो, मैं हूँ और है बरसात की मदहोशियाॅ ।
डालकर आँखों में आँखें हम सुनें खामोशियाॅ ।।
उँगलियों के छोर को महसूस करती उँगलियाॅ।
मधु तेरे बालों से ले मुझपर उड़ाती तितलियाँ
लगता है हमको मिलाने की सिफारिश हो रही है।
आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है ।।2।।

तेरी जुल्फों की तरह काली घटाएँ छा रहीं हैं ।
देखो कैसे घुमड़ कर ये प्रेम रस बरसा रहीं हैं ।।
कह रहीं हैं क्यों विरह की वेदना में जी रहे हो ।
नाम लेकर के तुम्हारा प्रेम गीत सुना रहीं हैं ।।
बादलों के बीच जैसे कोई साजिश हो रही है ।
आज फिर खिड़की पर बारिश हो रही है ।।3।।

Language: Hindi
1 Like · 79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
Yogini kajol Pathak
मासूमियत
मासूमियत
Punam Pande
पावस
पावस
लक्ष्मी सिंह
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
शेखर सिंह
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कोरोना संक्रमण
कोरोना संक्रमण
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*वरमाला वधु हाथ में, मन में अति उल्लास (कुंडलियां)*
*वरमाला वधु हाथ में, मन में अति उल्लास (कुंडलियां)*
Ravi Prakash
हिंसा रोकना स्टेट पुलिस
हिंसा रोकना स्टेट पुलिस
*Author प्रणय प्रभात*
मां शारदे कृपा बरसाओ
मां शारदे कृपा बरसाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
उम्र का एक
उम्र का एक
Santosh Shrivastava
दरख़्त और व्यक्तित्व
दरख़्त और व्यक्तित्व
Dr Parveen Thakur
भेज भी दो
भेज भी दो
हिमांशु Kulshrestha
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
रिश्तों में वक्त नहीं है
रिश्तों में वक्त नहीं है
पूर्वार्थ
*सेवानिवृत्ति*
*सेवानिवृत्ति*
पंकज कुमार कर्ण
"गुलाम है आधी आबादी"
Dr. Kishan tandon kranti
हजार आंधियां आये
हजार आंधियां आये
shabina. Naaz
कैसी ये पीर है
कैसी ये पीर है
Dr fauzia Naseem shad
अपने चरणों की धूलि बना लो
अपने चरणों की धूलि बना लो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एहसास
एहसास
Kanchan Khanna
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
Rj Anand Prajapati
कुछ चंद लोंगो ने कहा है कि
कुछ चंद लोंगो ने कहा है कि
सुनील कुमार
" ख्वाबों का सफर "
Pushpraj Anant
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बूँद-बूँद से बनता सागर,
बूँद-बूँद से बनता सागर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
Neena Kathuria
Loading...