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20 Feb 2024 · 1 min read

होली

आओ सुनाए तुम्हें होली की कहानी,
जिसमें जली थी होलिका अभिमानी।

ले प्रहलाद को आग में,
बैठी थी वो अनजानी।
जल गई स्वंय ही और,
ख़तम हो गई उसकी कहानी।

वरदान था मिला उसको,
नहीं जलेगी आग में।
लेकिन कैसे बच पाती,
मन में जगह बना ली थी अहंकार ने।

खुश हुए लोग सुबह का इंतजार किया,
उसकी जली हुई राख से लोगों ने सिंगार किया।

तब से मानने लगे लोग यह त्योहार,
और मिलकर करने लगे एक दूसरे का गुलाल से सिंगार।

Language: Hindi
1 Like · 89 Views

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