होली मोहब्बत बाली।
बो जरा सी बात को, दिल से लगाए बैठे हैं।
नफरतों की आग, वो दिल में जलाए बैठे हैं।।
सावन बीता आई दिवाली, होली आकर चली गई।
रंग लगा ना गले मिले, ईद भी आकर चली गई।।
उनकी कोई खबर नहीं, हम आस लगाए बैठे हैं।
होली औ शबे बारात, आए हैं साथ में।
रंग जाएं प्रेमरंग में,हो दुआ भी साथ में।।
मंदिर में जाके देख लो, हम मस्जिद सजाए बैठे हैं।
जिंदगी की उलझनों को कम करके तो देखिए।
हम हो जायेंगे तुम्हारे, मुस्करा कर तो देखिए।।
आ जाओ हमारे दर पे, हम नजरे बिछाए बैठे है।
दो चार दिन की जिंदगी, हंस हंस के गुजार दे।
बेरंग सी जिंदगी को, रंगो का निखार दे।
आके तो देख लीजिए, हम दिल को बिछाए बैठे हैं।
वो जरा सी बात को, दिल पर लगाए बैठे हैं।