होली मिलन पर मुक्तक
किसी बेरंग जिंदगी में,होली पर रंग भर देना,
चेहरे जो मुरझाए है,उन पर गुलाल मल देना।
मनाते हैं होली सभी अपनी अपनी तरह से,
बेसहारे बच्चो को रंगीन पिचकारी दिला देना।।
होली जब जलाओ,उसमे नफरत जला देना,
गुंजियों पर प्यार की चासनी तुम चढ़ा देना।
बुलाते है सभी होली पर अपने अपनो को,
अबकी बार होली पर गैरो को तुम बुला लेना।।
भूखे हैं जो होली पर,उन्हे खाना खिला देना,
प्यार के प्यासे हैं जो उन्हें प्यार पिला देना।
खिलाते पिलाते है सभी लोग अपनी तरह से,
इस बार गरीब बस्तियों में लंगर लगा देना।।
बेरोजगार हैं जो उन्हें कोई दुकान खुला देना,
बे सहारे बीमारो को जरा दवाईयां दिला देना।
दान देते है कुछ लोग अपना एहसान जता कर,
तुम जो किसी को देओ उसे तुम भुला देना।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम