होली आई
होली आई होली आई रंग बिरंगी खुशियाँ लाई ।
नई-नई तरंगे लाई नई नई उमंगे लाई।
बसंत की भी रौनक आई प्रकृति रंग बिरंगी छाई।
रंग-बिरंगे पुष्प खिलाई। नए साल के स्वागत हेतु।
रंग बिरंगी सेज सजाई।
कान्हा के संग राधा आई। ग्वाले आए गोपियाँ आई।
वृंदावन में धूम मचाई। भर भर रंगों की पिचकारी। एक दूसरे के ऊपर डारी।
एक दूसरे को तिलक लगाकर घर के बूढ़े दे बधाई।
बच्चे भर भर कर पिचकारी इधर-उधर है धूम मचाई।
-‘विष्णु प्रसाद पाँचोटिया’