होलिका दहन कथा
होलिका दहन का यह संदेश,अब हर घर तक पहुंचाना है।
हर बुराई का करके अंत, अच्छाई की विजय पताका लहराना है।।
अन्याय और अधर्म का राज, जिन्हें भी दुनिया में फैलाना है।
करके दहन पापी को सत्य,भक्ति का मार्ग हमें दिखलाना है।।
हिरण्यकश्यप पा कर वरदान प्रभु से खुद को अमर बनाता है।
जिसके दम पर वह अब अपने को ही जगत में भगवान बताता है।।
अपनी पूजा का डंका हिरण्य अपने पूरे राज्य में बजवाता है।
फिर भी उसका खुद का बेटा प्रहलाद नारायण को ही पूजता जाता है।।
गुस्से में हिरण्य प्रहलाद को भिन्न भिन्न सजाएं दिलवाता है।
और हर सजा के बाद प्रहलाद नारायण की पूजा करता जाता है।।
हारकर हिरण्य अपनी बहन होलिका संग एक साजिश रचवाता है।विशेष वस्त्रों से सुसज्जित होलिका को प्रहलाद संग चिता पर बैठाया जाता है।।
प्रहलाद की भक्ति का प्रमाण राज्य की संपूर्ण जनता को मिल जाता है।
जब होलिका तो भस्म हो जाती है और प्रहलाद सुरक्षित बाहर आता है।।
कहे विजय बिजनौरी इसलिए बुराई पर अच्छाई की जीत बताया जाता है।
आज का दिन होलिका दहन के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी