होकर मायूस न यूँ
हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिए;
ज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए;
यहाँ अपनो मे पराये नजर आयेगे जनाव
मुस्कुराकर अपनो से सदा मिलते रहिये
कही फूल कही काँटे बिछेगे तेरी राहो मे
हसते हुये काँटो पर भी चलते रहिये
एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे;
धीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए।
अपना तो सदा अपना होता है जमाने मे
परायो के साथ हँस कर मिलते रहिये