*होंश खोकर जिंदगी कभी अपनी नहीं होती*
मत कर खत्म
जिंदगी की महक
महखाने में जाकर
लौट कर
जब तलक आयेगा
चूमेंगे तुम्हारा वदन
गली के सब श्वान
मिलकर
महक का
आभास लेंगे
गिरकर
गली के उस
चौराहे पर
रज में
लौटते होंगे
तमासा लोग
देखेंगे जब
तुम्हारा
तमासबीन बनकर
लोग बोलेंगे देखो
यह वही
सफ़ेदपोस आदमी है
जो रोज़
अपने घर से
बड़े अदब से
निकलता है
देखो आज
यह इसकी
कितनी बड़ी
विफलता है
जितना प्यार
से इसका
मुखचन्द्र
श्वान चूमते है
स्वप्न में खोया
इंसान हमेशा
यही भूल
करता है
स्वप्न को
हकीकत
और
हकीकत को
स्वप्न समझता है
शायद
जिंदगी के
इस रहस्य को
नही समझता है
होश खोकर
जिंदगी कभी
अपनी
नहीं होती है
होश रख अपना
और
गिर मत
निगाहों में अपनी
बेहोश मत हो
वरना जिंदगी
जिंदगी नहीं रहती ।।
💐मधुप बैरागी