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4 Apr 2024 · 1 min read

है शिकन नहीं रुख़ पर

है शिकन नहीं रुख़ पर आँख में ख़ुमारी है
ज़िंदगी भले हमने दर्द में गुजारी है

मानता हूँ दुनिया में राज है तेरा लेकिन
वक़्त की नज़र में तो हर कोई भिखारी है

कह न दे कोई बुज़दिल फिक्र है यही मुझको
इसलिए ज़माने से जंग मेरी जारी है

दूसरों की बातों को जो नहीं तवज्जो दे
और कुछ नहीं उसको दंभ की बीमारी है

हर कदम दिया हमको आपने दग़ा ‘आकाश’
आप से वफ़ा करना क्या ख़ता हमारी है

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 27/03/2024

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