है शिकन नहीं रुख़ पर
है शिकन नहीं रुख़ पर आँख में ख़ुमारी है
ज़िंदगी भले हमने दर्द में गुजारी है
मानता हूँ दुनिया में राज है तेरा लेकिन
वक़्त की नज़र में तो हर कोई भिखारी है
कह न दे कोई बुज़दिल फिक्र है यही मुझको
इसलिए ज़माने से जंग मेरी जारी है
दूसरों की बातों को जो नहीं तवज्जो दे
और कुछ नहीं उसको दंभ की बीमारी है
हर कदम दिया हमको आपने दग़ा ‘आकाश’
आप से वफ़ा करना क्या ख़ता हमारी है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 27/03/2024