है बुद्ध कहाँ हो लौट आओ
हे बुद्ध। कहाँ हो लौट आओ
उपदेश तुम्हारे फिर दे जाओ
है जरूरत आन पड़ी गौतम
भटकों को राह दिखा जाओ
हे बुद्ध कहाँ हो……………..
सम्राट अशोक ने क्या पाया
रक्तरंजित शरण तेरी आया
मानवता को ही धर्म समझा
और छूट गई सब मोह-माया
हे बुद्ध कहाँ हो…………….
देखे थे कष्ट जब लोगों के
एश्वर्य त्यागे सब महलों के
वे बिस्तर वे पकवान तजे
भूखे ही सो गए थे ढेलों पे
हे बुद्ध कहाँ हो……………..
आपस में लड़ते लोग यहाँ
हैं पड़े खोखले आडम्बर में
नही चैन कहीं आराम नहीं
कलह हो गई है घर-घर में
हे बुद्ध कहाँ हो…………….
“V9द” हो गई सच्च में हद
आकर पाखंड मिटा दो सब
भूले-भटकों को हे श्रेष्ठमती
असली राह दिखा दो अब
हे बुद्ध कहाँ हो……………