Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 1 min read

है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।

गज़ल

1222………1222………122
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
किधर को देश अपना जा रहा है।1

पिलाया इस कदर मीठा जहर जो,
न उगला ही, न निगला जा रहा है।2

कहीं ठंडी से सब कुछ जम गया तो,
कहीं गर्मी से जलता जा रहा है।3

ये हालत हो गई है आम जन की,
वो महगाई से मरता जा रहा है।4

कमाता है जो भूखा पेट सोता,
जो खाली, देश खाता जा रहा है।5

जो खाते हैं, न चलते दो कदम भी,
उन्हीं का तोंद लटका जा रहा है।6

हैं उनके और दीवाने बहुत से,
ये ‘प्रेमी’ को दिखाया जा रहा है।7

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी।

158 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सत्य कुमार प्रेमी
View all
You may also like:
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
Pankaj Kushwaha
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
Ravi Prakash
सितारों से सजी संवरी एक आशियाना खरीदा है,
सितारों से सजी संवरी एक आशियाना खरीदा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गीत
गीत
Shiva Awasthi
गरीबी पर लिखे अशआर
गरीबी पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
"ऐ हवा"
Dr. Kishan tandon kranti
आइये हम ये विचार करें
आइये हम ये विचार करें
Dr.Pratibha Prakash
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
My Precious Gems
My Precious Gems
Natasha Stephen
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
बेईमानी का फल
बेईमानी का फल
Mangilal 713
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
Ajit Kumar "Karn"
घर एक मंदिर🌷
घर एक मंदिर🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
लघुकथा -
लघुकथा - "कनेर के फूल"
Dr Tabassum Jahan
जानती हो दोस्त ! तुम्हारी याद इक नाव लेकर आती है। एक ऐसी नाव
जानती हो दोस्त ! तुम्हारी याद इक नाव लेकर आती है। एक ऐसी नाव
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बादलों की उदासी
बादलों की उदासी
Shweta Soni
- आम मंजरी
- आम मंजरी
Madhu Shah
നല്ല നാളുകൾ.
നല്ല നാളുകൾ.
Heera S
Justice Delayed!
Justice Delayed!
Divakriti
4806.*पूर्णिका*
4806.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सूरज आएगा Suraj Aayega
सूरज आएगा Suraj Aayega
Mohan Pandey
पितृ तर्पण
पितृ तर्पण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
यूं ना कर बर्बाद पानी को
यूं ना कर बर्बाद पानी को
Ranjeet kumar patre
Loading...