Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2021 · 1 min read

है इतना शोर ये सुनसान क्यों नहीं होता

ग़ज़ल
है इतना शोर ये सुनसान क्यों नहीं होता।
हमारा दिल है कि वीरान क्यों नहीं होता ।।

ये जान मेरी निकल जाती तेरे जाने से ।
तू जान कर भी मेरी जान क्यों नही होता।।

अना का बोझ लिये सर पे घूमता हूँ मैं ।
इसे उतारना आसान क्यों नहीं होता।।

सबब बनी है अदावत का मेरी दानाई।
सभी हो खुश तो मैं नादान क्यों नहीं होता

लगा तो है ये ख़ुदा बनने में मगर पहले।
ज़रा ये आदमी इंसान क्यों नहीं होता।।

भरा जो पेट परिंदों का छोड़ते दाना।
इस आदमी को ही ईमान क्यों नहीं होता।।

“अनीस” भूख ग़रीबी ये जुल्म बेकारी।
तुम्हारी नज़्म का उन्वान क्यों नहीं होता।।
अनीस शाह “अनीस”

2 Likes · 2 Comments · 262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कविता - छत्रछाया
कविता - छत्रछाया
Vibha Jain
कैसा अजीब है
कैसा अजीब है
हिमांशु Kulshrestha
इंसानियत का चिराग
इंसानियत का चिराग
Ritu Asooja
कारगिल युद्ध के समय की कविता
कारगिल युद्ध के समय की कविता
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
*आ गया मौसम वसंती, फागुनी मधुमास है (गीत)*
Ravi Prakash
"जान लो"
Dr. Kishan tandon kranti
देन वाले
देन वाले
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
Kanchan Alok Malu
विलीन
विलीन
sushil sarna
आ भी जाओ
आ भी जाओ
Surinder blackpen
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बस एक कदम दूर थे
बस एक कदम दूर थे
'अशांत' शेखर
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
तुम
तुम
Tarkeshwari 'sudhi'
गरीबी तमाशा
गरीबी तमाशा
Dr fauzia Naseem shad
Finding someone to love us in such a way is rare,
Finding someone to love us in such a way is rare,
पूर्वार्थ
आई अमावस घर को आई
आई अमावस घर को आई
Suryakant Dwivedi
भय लगता है...
भय लगता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3985.💐 *पूर्णिका* 💐
3985.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
Rakshita Bora
*मकर संक्रांति पर्व
*मकर संक्रांति पर्व"*
Shashi kala vyas
G                            M
G M
*प्रणय*
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
VINOD CHAUHAN
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
अंसार एटवी
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।
Phool gufran
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
लिमवा के पेड़ पर,
लिमवा के पेड़ पर,
TAMANNA BILASPURI
Loading...