हैपी या अनहैपी दीवाली?
हेप्पी दिवाली कहने वालो
तोते जैसे रटने वालो
किस से बोल रहे हो तोलो
फिर चाहो तो खुलकर बोलो
किस का निकला आज दिवाला
और किसकी मनी दिवाली।
किसका छिना निवाला मुंह से
किसकी भर गई थाली।
रूप का प्याला रहा सिसकता
हँसती रही मधु की प्याली।
कब आई कब चली गई
कुछ पता नही दिवाली।
द्युत क्रीडा की व्रीडा देखो
कितने घरो को लील गई
मस्त पटाखो की धमक हठीली
कितने अंगो को छील गई।
गोबरधन की कला कृतियाँ
छपी हुई जो दीवारों पर।
बिखर गई काली मावस फिर
कितने ही खुश परिवारों पर।
फिर भी लगता हे तुमको
तो कहो जनाब ए आली
मंगलमय बधाई यारा
तुमको हैप्पी दिवाली।
—- मधु गौतम