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29 Dec 2016 · 1 min read

हैं न बेटों से कम बेटियाँ

हैं न बेटों से कम बेटियाँ
हरती है घर का तम बेटियाँ

है न कमजोर ,रखती बहुत
हौसलों का भी दम बेटियां

इनसे आगे हैं हर क्षेत्र में
है न लड़कों के सम बेटियाँ

जाती ससुराल घर छोड़ जब
जाती उस घर में रम बेटियाँ

भाई की सच्ची हमदर्द बन
बाँटती उसके गम बेटियाँ

डरती भी मुश्किलों से नहीं
बस बढ़ाती कदम बेटियाँ

जोड़ परिवार को ‘अर्चना’
मैं को करती हैं हम बेटियाँ

डॉ अर्चना गुप्ता

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