हैं जख्म जरूरी ये
थोड़ा सही लहू मगर उबालिए जनाब
हैं जख्म जरूरी ये इन्हें पालिए जनाब
यूँ ही किया करेंगे परेशान रात दिन
जी में भरे गुबार को निकालिए जनाब
जब तक न गिरे देखिए अपने हिसाब से
खामोशियों से गोटियाँ उछालिए जनाब
कौए ने ये कहा था बचपने में एक दिन
पानी मिलेगा कुछ घड़े में डालिए जनाब
हैं आपके सहारे ये भटके हुए कदम
अँगुली पकड़ के प्यार से सँभालिए जनाब