हैं कितनी सुंदर ये कुदरत…..
हैं कितनी सुंदर ये कुदरत
हमे रहना हैं उसके संग ।।
कोमल कली हैं कुदरत
हमें खिंच हैं वो अपनी तरफ ।।
हैं एक आकर्षक कली
जैसे हो मोहक मोहिनी ।।
जादु करे हम पर कई
हैं बड़ी दिलचस्प जादूगरनी ।।
कोमलता भरी हैं नज़ाकत
प्रकृति को बनाए बेहद खूबसूरत ।।
हैं कितनी सुंदर ये कुदरत
हमें रहना हैं उसके संग संग ।।
हैं कई ऐसी फिजाएं
जो बिखेरे हैं रंगीन रंगत ।।
जिससे उपवन सी महके हैं कुदरत
हमें रहना हैं उसकी गोद में ।।
हैं कितनी सुंदर ये कुदरत
हमें रहना हैं उसके संग संग ।।
हमे प्यार हैं..ममता हैं…हैं लगाव इतना
जैसे हैं वो स्नेह की अद्भुत माँ जैसी मूरत ।।
हैं कितनी सुंदर ये कुदरत…सौंदर्य से सजी-धजी
हमे रहना हैं उसके संग संग ।।