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26 Nov 2021 · 1 min read

हैं कलम में जोड़ इतना,की धुल चटा दूं पर्वत को

हैं कलम में जोड़ इतना की धुल चटा दूं पर्वत को
हैं प्रेम का सागर मन में, डुबा के मार दूं नफरत को
ऐ मुझे ना समझने वाले मगरुर इंसान
हासिल किये न आराम से बैठुंगा अपने मन की हसरत को

रौशन राय के कलम से

Language: Hindi
Tag: शेर
188 Views
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