हे हंसवाहिनी
हे हंसवाहिनी जीवन का आधार हमें दे दो
हम गीली मिट्टी हैं माँ आकार हमें दे दो
तुम सरगम में,तुम गीतों में,तुम हो ताल में,लय में
दे दो माँ आशीष मुझे न रहूँ कभी संशय में
तुम बिन भाव नहीं आते हैं गीत अधूरे मेरे
कर दो कृपा ये नन्हा बालक करता है पग फेरे
रूठो मत जिद करने का अधिकार हमें दे दो
हम गीली मिट्टी हैं माँ आकार हमें दे दो
तुम्ही हृदय में,तुम वाणी में दिगदिगन्त भी तुमसे है
ज्ञान सरोवर की लहरों के आदि-अंत भी तुमसे है
सूरज,चाँद सितारों के विस्तृत अनंत में तुम ही हो
सुमधुर पावन प्रीतिसुधामय ऋतु बसंत में तुम ही हो
नित नवीन खुशियों का घर-संसार हमें दे दो
हम गीली मिट्टी हैं माँ आकार हमें दे दो
बसो मेरे अंतः माँ अंतःकरण हमें ले लो
साष्टांग हैं पड़े द्वार पर शरण हमें ले लो
स्वर देकर सम्पूर्ण सृष्टि को हे शोभित करने वाली
अपने रूप अलौकिक से जग को मोहित करने वाली
ले लो अपनी गोद में अपना प्यार हमें दे दो
हम गीली मिट्टी हैं माँ आकार हमें दे दो