हे, सूर्य देव तुमको प्रभात का।
हे, सूर्य देव तुमको प्रभात का,,,
करता हूं मैं शत् शत् प्रणाम!!!
तुम हो सम्पूर्ण विश्व के,,,
ईश्वर के नभ मण्डल की शान!!!
तुममें कोमलता, कठोरता,,,
मानव दोनों को पाता है!!!
प्रभात की किरणें कितनी कोमल,,,
दोपहर की ज्वालांता ना सह पाता है!!!
तुम हो सबके जीवन की आशा,,,
डूबना उगना सिखाते हो!!!
अस्त होकर पुनः अगली सुबह निकल कर,
मानव को जीने की आस दिखाते हो!!!
यदि ना आओ एक दिन तो,,,
त्राहि त्राहि माम मच जायेगी!!!
संपूर्ण विश्व की सुंदरता, मानव की अधरता,,,
अंधकार में खो जायेगी!!!
कलियों को देकर प्रकाश पुंज,,,
तुम उनको खिलाकर सुंदर पुष्प बनाते हो!!!
तुम ही हों जो किसान के खेतों में,,,
प्रकाश प्रदान करके फसलों को पकाते हो!!!
तुम बिन जीवन जीना,,,
मानव का पृथ्वी पर अकल्पनीय है!!!
सायंकाल में तुम्हारी सुंदरता,,,
नभ मंडल में देखने में अतुलनीय है!!!
हे, सूर्य देव तुमको प्रभात का,,,
करता हूं मैं शत् शत् प्रणाम!!!
तुम हो सम्पूर्ण विश्व के,,,
ईश्वर के नभ मण्डल की शान!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ