हे सर्द शीत
हे सर्द शीत , इतना कहर न बरपाओ
कांप रहा है तन , कुछ नम्र पड़ जाओ
देख जरा काला धुन्ध छा रहा है नभ में
सबने वूलन चादर ओढ़ ली है जग मेंं
हे सर्द शीत , रूह कँपा रहे हो हमारी
ठंड के कारण बुजुर्ग परेशान है भारी
फुटपाथ पर सोया है राहगीर बेचारा
साधन कोई न पास ,इसलिए वो हारा