हे राम !
हे राम ! तुम्हारी सेना ने ,
कैसा अनर्थ कर डाला है ?
जहाँ वास तुम्हारा होता है ,
वहाँ घोर पाप कर डाला है ..
एक फूल सी बच्ची मसली है |
इक जीवन जिसने हारा है;
चौखट तेरी बनी बली वेदी ,
जहाँ धर्म भी आकर हारा है |
हे राम!तुम्हारी सेना ने ,
कैसा अनर्थ कर डाला है ?
है राज्य तुम्हारा राम राज्य ..
ये कैसा संकट लाया है ?
हर बेबस पर ये वार करे ,
क्या ये तुझपे न प्रहार करे ,
सब बेबस हैं लाचार खड़े ..
क्या क्षत्रीय धर्म निभाया है
हे राम ! तुम्हारी सेना ने ,
कैसा अनर्थ कर डाला है ?
कैसा ये कलयुग आया है ?
ये कैसी सत्ता की माया है ?
हे राम तुम्हारी सेना ने ,
कैसा ये धर्म निभाया है ?
लौटा दो मेरा रावण मुझको ..
जिसकी अपनी मर्यादा है |
हे राम ! तुम्हारी सेना ने ,
कैसा अनर्थ कर डाला है ?
हे राम !