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22 Apr 2021 · 1 min read

हे महादेव!

हे महादेव, शंकर , प्रलयंकर,जुनि देखूँ जग केँ संहारक।
अछि व्यथा सृष्टि के पालक,दृश्य समूचा हृदय विदारक ।

देखूंँ पसरल अछि हाथ काल केँ,जे रूप कोरोना केँ धेलक।
छल हर्षित जे गाम हमर , शमशान बना ओकरा देलक।

दैबक ई दंड कहूँ कोना ? डरल निर्बल मानुष सहत!
ताकूँ उपाय भ देरी रहल,एक अँहीं कृपा सँ सृष्टि बचत।

आऊँ बचाबू अहि जग केँ ,जे अछि विपति काल केँ मारल।
देखूं सगरे अछि नोर झोर, आ दूत मृत्यु के पैर पसारल।

हे महादेव ,शंकर , प्रलयंकर, जुनि देखूँ जग केँ संहारक।
अछि व्यथा सृष्टि केँ पालक, दृश्य समूचा हृदय विदारक ।

दीपक झा रुद्रा

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