हे मंगलमूर्ति गणेश पधारो
हे मंगलमूर्ति गणेश पधारो
आकर बिगरे काम संवारो
हे मंगलमूर्ति…..…………
देवी-देवता जब सब हारे
तूँ ही आकर काज़ संवारे
मेरे घर भी हे देव पधारो
हे मंगलमूर्ति……………..
प्रथम तुझको भोग लगाएँ
तुम्ही को देवाधिदेव बुलाएँ
कर दो जीवन में उजियारो
हे मंगलमूर्ति………………
‘विनोद’ का हो तुम्ही सहारा
दे दो प्रभू आशिर्वाद तुम्हारा
मेरी भी नैया को पार उतारो
हे मंगलमूर्ति……………….
स्वरचित
( विनोद चौहान )