हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है
हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है।
तुम्हारे ही साहस केे बलपर ,लोगों का घर बार रहा है।
भारत के शौर्य की रक्षा में तुमने ही प्राण गँवाएँ हैं,
तुम्हारा बलिदान देश के ख़ातिर ,एक नही सौ बार रहा है।
हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है।
तपती दोपहरी में भी तुम ,निज बदन तपाया करते हो।
अपने तेज से सूरज को भी, आईना दिखाया करते हो।
तुम्हारे अदम्य साहस को देख, हर कोई पुचकार रहा है।
हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है।
तिरंगा दिल में रहता है और तिरंगा ओढ़े आ जाते हो।
दिल में साहस भर देते हो , फिर भी बहुत रुलाते हो।
तुम्हारे बलिदानी होने पर ,आँखों में अश्रु धार रहा है।
हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है।
तुमने देश की रक्षा में ,बिन सोचे प्राण गँवाएँ हैं।
भारत माँ की सेवा में ,तुमने ही शीश कटायें हैं।
मैंने देखा मौत से भी, तुम्हारा कितना तकरार रहा है।
हे भारत के वीर पुत्र ! नमन तुम्हे हर बार रहा है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी