24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
**हो गया हूँ दर-बदर, चाल बदली देख कर**
मिलना यह हमारा, सुंदर कृति है
चांद निकलता है चांदनी साए को तरसती है
प्रतिस्पर्धाओं के इस युग में सुकून !!
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
*श्री राजेंद्र कुमार शर्मा का निधन : एक युग का अवसान*
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
डर हक़ीक़त में कुछ नहीं होता ।
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
” कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं “