हे पिता,आप बेमिसाल हो !
आप शान हो सम्मान हो,
मेरा स्वाभिमान हो,
इस धरा पर मेरे वजूद का,
आप ही कर्णधार हो,
आप गुरु ,ज्ञान हो,
मेरे संरक्षण के पहरेदार हो,
मेरे बचपन के पहले साथी,
तो जवानी के यार हो,
आप जान हो जहान हो,
इस मिट्टी के कुम्हार हो,
मेरे संस्कारो की पहचान हो,
मैं पथिक आप खेवनहार हो,
मेरे जीवन का सार हो,
आप ही मेरी पहचान हो,
मेरे हार को जीत में बदल देने वाले,
‘हे पिता’ आप बेमिसाल हो।
दीपक ‘पटेल’