Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2022 · 1 min read

हे परम पिता

हिंसा से आहत धरती पर, कराह रही मानवता
मानव ही मानव के खून का प्यासा, जाग रही दानवता
उठो बुद्ध करूणा बरसाओ, आन पड़ी आवश्यकता
हिंसा और अज्ञान मिटाओ, आन जगाओ समरसता
उठो गॉड को मानने वालों, प्रेम धरा पर वर्षाओ
उठोअल्लाह के मानने वालों, अमन धरा पर लाओ
इस्लाम का अर्थ है शांति, शांति धरा पर फैलाओ
हे निराकार परब्रह्म सदाशिव, मानव की आंखें खोलो
फैल रही हिंसा धरती पर, आन हलाहल पी लो
एक निरंकार इस जग का, परमपिता स्वामी है
ईश्वर अल्लाह गाड गुरु, नाम अनेक अनामी है
उठो बुद्ध हे महावीर, हे रामकृष्ण जागो जागो
प्रेम का अमृत वर्षाओ, हिंसा को त्यागो त्यागो

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

7 Likes · 6 Comments · 328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
Sanjay ' शून्य'
श्रीराम गाथा
श्रीराम गाथा
मनोज कर्ण
रंग उकेरे तूलिका,
रंग उकेरे तूलिका,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दवाखाना  से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
दवाखाना से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
न मौत आती है ,न घुटता है दम
न मौत आती है ,न घुटता है दम
Shweta Soni
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
Ahtesham Ahmad
*रोते-रोते जा रहे, दुनिया से सब लोग (कुंडलिया)*
*रोते-रोते जा रहे, दुनिया से सब लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
-- कैसा बुजुर्ग --
-- कैसा बुजुर्ग --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
due to some reason or  excuses we keep busy in our life but
due to some reason or excuses we keep busy in our life but
पूर्वार्थ
रूह की चाहत🙏
रूह की चाहत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बीज हूँ---
बीज हूँ---
डॉक्टर रागिनी
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
2602.पूर्णिका
2602.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er. Sanjay Shrivastava
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
"अभिव्यक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30  न
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30 न
Shashi kala vyas
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
Stuti tiwari
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
Rj Anand Prajapati
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
अजीब बात है
अजीब बात है
umesh mehra
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
प्रश्न - दीपक नीलपदम्
प्रश्न - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ये दुनिया सीधी-सादी है , पर तू मत टेढ़ा टेढ़ा चल।
ये दुनिया सीधी-सादी है , पर तू मत टेढ़ा टेढ़ा चल।
सत्य कुमार प्रेमी
😊अनुरोध😊
😊अनुरोध😊
*Author प्रणय प्रभात*
क्या चाहती हूं मैं जिंदगी से
क्या चाहती हूं मैं जिंदगी से
Harminder Kaur
दो कदम
दो कदम
Dr fauzia Naseem shad
ऑनलाइन पढ़ाई
ऑनलाइन पढ़ाई
Rajni kapoor
Loading...