हे धरती के भगवान ! तुम्हें नमन
हे धरती के भगवान! हमारे ह्रदय स्पंदन,
कृतार्थ हो राष्ट्र करता तुम्हें शत शत नमन ।
तुम बंधु-बांधव, मित्र व् अभिभावक हो ,
मृत्यु समक्ष अडिग खड़े प्रहरी रक्षक हो ।
खुद से जायदा मरीज की फिक्र रहती है ,
इस दौरान तुम्हें अपनी फिक्र कहां रहती है ।
दिन रात मरीजों की तीमारदारी में गुजारते,
अपनेआराम की जरा भी परवाह नहीं करते ।
हां ! तुमने शपथ जो ली थी अपनेंशिक्षण में,
परिणामतःतुम सफल हुए हर परीक्षण में।
घर में चाहे कोई खुशी हो या गम के हालात ,
कर्तव्य पथ हेतु थमते नहीं कदम रहते तैनात।
इस महामारी के प्रकोप से भी हे वीर तुम! ,
डटे रहे , हारे नहीं इससे बिल्कुल भी तुम ।
अपनी जिंदगी को खतरे में तुमने डाल दिया ,
मरीज के जीवन हेतु मौत को भी अपना लिया ।
कौन है धरती पर तुम जैसा निस्वार्थ इंसान ,
धन से बढ़कर प्यारी तुम्हें मरीज की मुस्कान ।
कैसा होता है भगवान , हमने तो नहीं देखा ,
मगर हर प्राणी पर करुणा बरसाते तुम्हे देखा ।
यह चिकित्सक ,नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी ,
यह सभी है सम्मान और दुयाओं के अधिकारी ।